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गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

दिल चुराने के लिए हम तो हमेशा तैयार है

एक गीत  (08 /10 /2010)
 
दिल चुराने के लिए
हम तो हमेशा तैयार है
पर आँखों की संदूकची में
वो ससुरा
काजल का पहरेदार है....!
 
होंठों पे लाली, कानों में झुमके
पायल पांव में,
जुल्फों में गजरा, माथे पे बिंदी
कंगना हाथ में,
हर जगह मुस्तैदी से सब

रविवार, 3 अक्तूबर 2010

क्यों रहती हो, चुपचाप सी यूँ खोई हुई सी

04 /10 /2010 
 
क्यों रहती हो,
चुपचाप सी 
यूँ खोई हुई सी 
दुनिया से अलहेदा-अलहेदा 
क्यों रहती हो 
क्या दिल को आजकल कोई 
चाले लग गए हैं 
जो ये मानता नहीं है 
कोई मश्वरा..!   क्यों रहती हो,
 
मैं ये देख रहा हूँ
जो चाँद शाम से
इस हसीं आसमान पर
डाल देता डेरा
वो चाँद आजकल
देर रात मैं 
कभी तो निकलता है 
कभी नहीं भी निकलता 

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

माँ खादी का कुर्ता दे दे,

 माँ खादी का कुर्ता दे दे, मैं नेता बन जाउ
जल्दी से कोई जुगत लगाकर 
किसी पार्टी में घुस जाऊ  

पांच साल के अन्दर बंगला
पांच साल के भीतर गाड़ी,
मेरे लिए फिर तू ले आना,
देख दाख के सुन्दर लाड़ी
अभी जो बोले भला बुरा,
वो कल बोलेंगे मुझको दाऊ....! माँ खादी का कुर्ता दे दे,

तुमसे बेहतर कोई नहीं है

तुमसे बेहतर कोई नहीं है
इस दिल का रखवाला पिया,
तभी तो मैं सोचूं की पूरी
पी जाऊं ये हाला पिया!
तू कितना ख्याल रखे मेरा
हर बात को मेरी पूरा करे
ये नाचीज
अब उस रब के सिवा
बस तेरे आगे सजदा करे
मैं अब
तेरी हुकुम हुजूरी करूँ
मेरा मन तो हुआ मतवाला पिया..!  तुमसे बेहतर कोई नहीं है

बुधवार, 29 सितंबर 2010

तुम, पहले तो ऐसे नहीं थे, तुम

29 /09 /2010

तुम,
पहले तो ऐसे नहीं थे, तुम
ये कैसे आजकल
हो गए हो, तुम.....!

तुम, पहले तो थोड़ा-बहुत
बतिया लेते थे, हमसे 
कुछ बाँट लेते थे
अपनी खास बातें हमसे 
मगर, कुछ दिनों से.. हम ये,
देख रहे है 
कुछ उखड़े -उखड़े 
हो गए हो .... तुम ! तुम,  पहले तो ..

कौन सी बात मेरी 
बुरी लग गयी है 
जो इतनी दूर हमसे
रहने लगे हो
क्या वो वजह है कि
अब सारी बातें
सीने में छुपाकर
रखने लगे हो
मुझसे कुछ कहो
मुझे अपना समझो
ये बरताव मेरे संग
करों यूँ ना.... तुम !  तुम, पहले तो ..

रविवार, 26 सितंबर 2010

पिया, तोसे जो नैना मिलाऊँ

27 /09 /2010
पिया, तोसे जो नैना मिलाऊँ
तो मनवा
ऊँची उड़ाने भरने लगे!
हाँ ऊँची उड़ाने भरने लगे!
जो मन में आए वो करने लगे,
जो मन को भाए वो करने लगे!
 
काहे मेनें गवाए
फिजूल में दिन,
ये कजरा, सबसे शिकायत
करता फिरे,
जहाँ चाहूँ नहीं
ये कंगना वहां भी
खन-खन करता फिरे
तेरे संग रहूँ
तो बासा गजरा भी
खूब जोर से महकने लगे !  पिया, तोसे जो......
 
पल में जिया  मेरा धरती पर 
पल में जा पहुंचे ये अम्बर तक
जो तुने तीर छोड़ा है नैनों का
वो जा पहुंचा है करजवा में अन्दर तक
जो तुने चोट हमें दी
हम उसकी दवा
तेरे इश्क की मरहम से करने लगे !  पिया, तोसे जो......
 
कमलेश दुबे
 

शनिवार, 25 सितंबर 2010

ऐ सोन चिरैया

‎22/09/2010
ऐ सोन चिरैया मेरी तू,
मीठी शक्कर ढेरी तू.....!
सबको बताता फिरता हूँ कि,
हो गयी है अब मेरी तू....! ऐ सोन चिरैया
धडकन बनके लगा रही अब,
दिल के पास में फेरी तू......! ऐ सोन चिरैया
वक्त पे में आ जाता हूँ पर
अक्सर करती देरी तू......! ऐ सोन चिरैया
आम,जामुन, इमली थी कभी,
अब हो गयी मीठी बेरी तू.....! ऐ सोन चिरैया
कमलेश दुबे